हिमाचल को मिले ब्रिक्स के पहले प्रोजेक्ट पर ही चीन ने अड़ंगा

धर्मशाला
सांकेतिक तस्वीर
हिमाचल को मिले ब्रिक्स के पहले प्रोजेक्ट पर ही चीन ने अड़ंगा लगा दिया है। वर्ष 2017 में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ब्रिक्स के तहत करीब 3200 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मांगा था। ब्रिक्स ने पेयजल योजनाएं बनाने के लिए पहले चरण में 698 करोड़ रुपये बतौर ऋण देना मंजूर किया, लेकिन दो साल बाद आज तक राशि नहीं मिल पाई। सूत्रों की मानें तो हिमाचल के इस प्रोजेक्ट पर चीन ने अड़ंगा अड़ा दिया है। चीन हिमाचल से लगती सीमा मामले और धर्मगुरु दलाईलामा के विवाद की बात उठा रहा है।

इंजीनियर इन चीफ प्रोजेक्ट आईपीएच राजेश बख्शी ने माना कि चीन के साथ हिमाचल की सीमा लगने से प्रोजेक्ट लटका है। शंकाओं का समाधान करने के लिए हिमाचल सरकार ने अपना पक्ष रखा है। उम्मीद है कि फरवरी में चीन के शंघाई में ब्रिक्स बैंक की प्रस्तावित बैठक में मामला सुलझ जाए। उधर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने ब्रिक्स प्रोजेक्ट लटकने के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार की सुस्ती के कारण प्रोजेक्ट लटका।

दर्जनों शिलान्यास काम शुरू होने को तरस रहे

ब्रिक्स बैंक के इस प्रोजेक्ट से पहले चरण में जिला शिमला, सिरमौर, सोलन, कांगड़ा और मंडी के विधानसभा क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं का खाका तैयार किया गया। सरकार ने करीब 22 पेयजल योजनाओं की डीपीआर तैयार की। टेंडर बुलाए गए, लेकिन, पैसा न होने से टेंडर पिछले दो साल से अवार्ड नहीं हो पा रहे। दिलचस्प यह है कि टेंडर अवार्ड होने से पहले ही पिछले साल विधायकों ने शिलान्यास भी करवा दिए।

क्या है ब्रिक्स बैंक
दुनिया के पांच ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर 2014 के ब्रिक्स सम्मेलन में न्यू डेवलपमेंट बैंक गठित किया था। इस बैंक और फंड को पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के टक्कर में खड़ा किया था। बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई में है।

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